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श्लोक : 31 / 55

अर्जुन
अर्जुन
हे उच्चतम देवता, तुम भयानक रूप में हो; तुम कौन हो, यह बताओ; मैं तुम्हारी पूजा करता हूँ; कृपा करो; तुम सबसे बड़े हो; वास्तव में, मैं तुम्हें जानना चाहता हूँ; तुम्हारी यह उपस्थिति मुझे समझ में नहीं आ रही है।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक में, अर्जुन भगवान कृष्ण के भयानक रूप के बारे में पूछते हैं। इसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखने पर, मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र शनि ग्रह के प्रभाव में हैं। शनि, कठिन परिश्रम, धैर्य और नियंत्रण का ग्रह है। व्यवसाय और वित्त से संबंधित चुनौतियों का सामना करते समय, मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र में जन्मे लोग अपनी धैर्य और कठिन परिश्रम का उपयोग करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं। परिवार में, रिश्तों को बनाए रखने के लिए शनि ग्रह के प्रभाव का उपयोग करके जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए। व्यवसाय में, शनि ग्रह के प्रभाव को समझते हुए, दीर्घकालिक योजना के साथ कार्य करना महत्वपूर्ण है। वित्त प्रबंधन में, शनि ग्रह के नियंत्रण का उपयोग करके खर्चों को नियंत्रित करना और बचत बढ़ाना चाहिए। परिवार में, आपसी समझ के साथ रिश्तों को सुधारना चाहिए। इस श्लोक के माध्यम से, अर्जुन की तरह हमें भी कठिन परिस्थितियों का सामना करते समय दिव्य मार्गदर्शन प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।