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श्लोक : 30 / 55

अर्जुन
अर्जुन
विष्णु प्राण, उन लोगों को तुम चारों ओर से, उनके सम्पूर्ण शरीर को चाट रहे हो; अपनी अग्नि से भरी हुई मुँह से, उन मनुष्यों को निगल रहे हो; अपनी कठोर गर्मी की रोशनी के चमकदार किरणों से सम्पूर्ण ब्रह्मांड को भर रहे हो।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन कृष्ण के विश्वरूप दर्शन का अनुभव करते हैं। इसके माध्यम से, मकर राशि में जन्मे लोग, तिरुवोणम नक्षत्र और शनि ग्रह के प्रभाव में रहने वाले, अपने जीवन में बड़े बदलावों का सामना कर सकते हैं। व्यवसाय में, उन्हें कठिन परिश्रम के माध्यम से आगे बढ़ना चाहिए। शनि ग्रह के प्रभाव से, उन्हें अपने व्यवसाय में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन साहस के साथ कार्य करने पर वे सफल हो सकते हैं। परिवार में, उन्हें एकता को समझकर कार्य करना चाहिए। पारिवारिक संबंधों को बनाए रखने के लिए शनि ग्रह के शिक्षाओं का उपयोग करना चाहिए। स्वास्थ्य में, उन्हें अपने शारीरिक और मानसिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए। शनि ग्रह स्वास्थ्य में प्रतिबंधों को बल देता है, इसलिए स्वस्थ आदतों का पालन करना चाहिए। यह श्लोक, सभी जीवों के भगवान के नियंत्रण में होने को दर्शाता है। इसे समझकर, मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र में जन्मे लोग अपने जीवन को शांति और विश्वास के साथ जी सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।