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श्लोक : 17 / 55

अर्जुन
अर्जुन
तेरे दिव्य रूप की विशेषता अनेक रंगों में है, सिर पर मुकुट धारण किए हुए, हाथ में अस्त्र लिए हुए और वृत्तों के साथ; यह हर जगह चमकता है; तुझमें, हर जगह चमकने वाले सूर्य की असीमित जलती हुई अग्नि को देखना कठिन है।
राशी सिंह
नक्षत्र मघा
🟣 ग्रह सूर्य
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, करियर/व्यवसाय, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन द्वारा देखे गए कृष्ण के विश्वरूप का संबंध सिंह राशि और मघा नक्षत्र से है। सूर्य इस राशि का स्वामी है, और इसे दिव्य प्रकाश और शक्ति के प्रतिबिंब के रूप में माना जाता है। परिवार में एकता और रिश्तों में स्थिरता बहुत महत्वपूर्ण है। परिवार के सदस्य एक-दूसरे का समर्थन करें। व्यवसाय में, सूर्य की शक्ति की तरह, प्रगति और विकास प्राप्त करना चाहिए। व्यावसायिक प्रयासों में आत्मविश्वास और संकल्प की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य, सूर्य की रोशनी की तरह, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को सही रखना चाहिए। स्वस्थ भोजन की आदतें और व्यायाम के माध्यम से लंबी उम्र प्राप्त की जा सकती है। कृष्ण के विश्वरूप की तरह, जीवन के कई आयामों को एकीकृत करके, एक उज्ज्वल जीवन जीना चाहिए। यह श्लोक हमें जीवन के हर क्षेत्र में प्रकाश और शक्ति प्राप्त करने का मार्गदर्शन करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।