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श्लोक : 16 / 55

अर्जुन
अर्जुन
विश्वेश्वर, तेरे असीम रूप में सभी स्थानों पर कई हाथ, पेट, मुँह और आँखें मुझे दिखाई देती हैं; मैं इसके आरंभ, मध्य और अंत को देख नहीं सकता।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, धर्म/मूल्य
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन द्वारा देखे गए कृष्ण के विश्वरूप का प्रतीक, मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र के माध्यम से शनि ग्रह द्वारा परिलक्षित होता है। मकर राशि में जन्मे लोग आमतौर पर अपने व्यवसाय में बहुत ध्यान केंद्रित करते हैं। शनि ग्रह उन्हें धैर्य और कठिन परिश्रम प्रदान करता है। परिवार में, वे रिश्तों का सम्मान करते हैं और धर्म और मूल्यों का पालन करने में महत्वपूर्णता देते हैं। कृष्ण के विश्वरूप की तरह, मकर राशि के लोग अपने जीवन में अनंत क्षमताओं को प्रकट कर सकते हैं। व्यवसाय में, वे अपनी कोशिशों को पूरी तरह से करके सफलता प्राप्त करेंगे। परिवार में, वे एकता स्थापित करते हैं और सभी के लिए सहारा बनते हैं। धर्म और मूल्यों का पालन करके, वे समाज में एक अच्छा नाम प्राप्त करेंगे। शनि ग्रह के आशीर्वाद से, वे अपने जीवन में दीर्घकालिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह श्लोक, मकर राशि के लोगों को उनके जीवन में अनंत क्षमताओं को प्रकट करने के लिए प्रेरित करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।