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श्लोक : 20 / 47

संजय
संजय
हे राजन, गिलहरी के ध्वज वाली गाड़ी में, धृतराष्ट्र के पुत्रों की ओर तीर चलाने के लिए तैयार था पांडव का पुत्र, उसने थोड़ी देर के लिए धनुष को नीचे किया और इन शब्दों को हृषीकेश से कहा।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन की मानसिक उलझन और उसे सुलझाने के लिए उसकी कोशिश का उल्लेख किया गया है। इसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखने पर, मकर राशि, उत्तराद्र्रा नक्षत्र और शनि ग्रह महत्वपूर्ण होते हैं। मकर राशि आमतौर पर कठिन परिश्रम और जिम्मेदारी को दर्शाती है। उत्तराद्र्रा नक्षत्र निर्णय और योजना में उत्कृष्टता को दर्शाता है। शनि ग्रह, धैर्य, संयम और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। व्यवसाय और वित्त से संबंधित निर्णय लेते समय, सावधानी से सोचकर कार्य करना आवश्यक है। परिवार की भलाई को ध्यान में रखते हुए, वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बनाना चाहिए। व्यवसाय में प्रगति के लिए, शनि ग्रह की सावधानी और उत्तराद्र्रा नक्षत्र की योजना का उपयोग करके दीर्घकालिक लक्ष्यों की ओर बढ़ना अच्छा है। इससे परिवार में शांति बनी रहेगी और वित्तीय स्थिति भी सुधरेगी। यह श्लोक, सावधानीपूर्वक सोचने और स्पष्ट कार्यों के महत्व को हमें समझाता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।