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श्लोक : 10 / 28

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
योग में स्थिर रहने के द्वारा प्राप्त उसकी अचल मन से, एक व्यक्ति मृत्यु के समय, अपनी भौहों के बीच अपनी सांस को समायोजित करता है, और ब्रह्म को पूरी तरह से प्राप्त करता है; इसके द्वारा, वह निश्चित रूप से दिव्यता प्राप्त करता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, धर्म/मूल्य
भगवद गीता के इस श्लोक में योग के माध्यम से मन को स्थिर करके दिव्यता प्राप्त करने के मार्ग को बताया गया है। मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए शनि ग्रह का प्रभाव होता है, जो उन्हें आत्मविश्वास और मानसिक दृढ़ता प्रदान करता है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, शनि ग्रह के साथ मिलकर, मानसिक स्थिति को संतुलित करने और स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। जब स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति संतुलित होती है, तो वे धर्म और मूल्यों का पालन करना आसान होता है। योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त करके, शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुधार सकते हैं। इससे वे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर दिव्यता प्राप्त कर सकते हैं। जब मन की स्थिति संतुलित होती है, तो वे अपने जीवन में उच्चतम धर्म का पालन कर सकते हैं। इससे वे दीर्घायु और आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।