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श्लोक : 46 / 47

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
हे अर्जुन, योगी एक मुनि से ऊँचा है; वह ज्ञानी लोगों से ऊँचा है; और, वह शुद्ध कर्म करने वाले मनुष्यों से भी ऊँचा है; इसलिए, तुम एक योगी बनो।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, मानसिक स्थिति, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में, योगी की महानता को भगवान कृष्ण स्पष्ट करते हैं। मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र वाले लोग, शनि की कृपा से मानसिक स्थिति को एकाग्रता के साथ बनाए रखेंगे। व्यवसायिक जीवन में उनकी उन्नति के लिए, मानसिक शांति और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हैं। शनि ग्रह की कृपा से, वे ध्यान और योग के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। व्यवसाय में उन्नति के लिए, उन्हें अपनी मानसिक स्थिति को संतुलित रखना चाहिए। स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए, योग और ध्यान आवश्यक हैं। इससे, वे व्यवसाय में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। मानसिक तनाव को कम करने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए, योगाभ्यास सहायक होगा। इससे, वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ जीवन को शांति से जी सकते हैं। शनि ग्रह की कृपा से, वे अपने व्यवसायिक प्रयासों में सफलता प्राप्त करेंगे। मानसिक शांति और स्वास्थ्य, उनके जीवन के महत्वपूर्ण अंग होंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।