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श्लोक : 2 / 47

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
पांडव, इसलिए, त्याग का क्या अर्थ है, यह समझो; यह योग में समर्पण के साथ स्थिर होना है; इच्छाओं को छोड़कर निश्चित रूप से कोई भी योगी नहीं बन सकता।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण योग के महत्व को स्पष्ट करते हैं। मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए उत्तराद्र नक्षत्र और शनि ग्रह के प्रभाव के कारण, उन्हें त्याग और इच्छाओं को छोड़ने की स्थिति में पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। व्यवसायिक जीवन में, उन्हें अपने मन को एकीकृत करके योग के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त करनी चाहिए। वित्त और अर्थव्यवस्था में, इच्छाओं को नियंत्रित करके वित्तीय नियंत्रण का पालन करना चाहिए। स्वास्थ्य में, योग और ध्यान के माध्यम से शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देना चाहिए। शनि ग्रह के प्रभाव से, वे अपनी कोशिशों में कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं, लेकिन योग के माध्यम से मन के विकारों को प्रबंधित करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह श्लोक उन्हें त्याग और योग के माध्यम से जीवन में प्रगति प्राप्त करने का मार्गदर्शन करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।