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श्लोक : 14 / 47

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
निर्भीकता और शांति से भरे मन का आधार; ब्रह्मचर्य का पालन करने में उसके मन को स्थिर करने के द्वारा; वह मुझ पर ध्यान केंद्रित करने के द्वारा, और मुझे समर्पित करने के द्वारा, उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र मानसिक स्थिति, करियर/व्यवसाय, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण मन की शांति और निर्भीकता पर जोर देते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, शनि ग्रह के आशीर्वाद से, अपने मन की स्थिति को नियंत्रित करके, शांति से कार्य करेंगे। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, एक व्यक्ति के मन में स्थिरता लाता है। यह उनके व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यवसाय में, वे अपने मन को पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करके सफलता प्राप्त करेंगे। परिवार में, शांति और प्रेम के माध्यम से संबंधों को सुधारेंगे। मन की स्थिति को संतुलित रखना, उनके जीवन में स्थिर प्रगति सुनिश्चित करेगा। शनि ग्रह, उनके लिए जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाता है और उनके कार्यों में संयम लाता है। इससे, वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ सकते हैं। यह श्लोक, मन की शांति और समर्पण के माध्यम से, जीवन के कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में मदद करेगा।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।