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श्लोक : 6 / 29

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
शक्तिशाली अस्त्र धारण करने वाले, योग में स्थिरता प्राप्त किए बिना त्याग करना कठिन है; योग में स्थिर रहकर कार्यों में संलग्न होने वाला योगी, बिना देरी के पूर्ण ब्रह्म को प्राप्त करता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण योग के महत्व को स्पष्ट करते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराद्र नक्षत्र और शनि ग्रह के प्रभाव में, वे अपने व्यवसाय में स्थिरता प्राप्त करेंगे। व्यवसाय जीवन में, वे त्याग और योग के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। परिवार में, योग और ध्यान के माध्यम से संबंधों को सुधार सकते हैं। स्वास्थ्य, योग और ध्यान के माध्यम से शरीर और मानसिक स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। शनि ग्रह, मकर राशि में, व्यवसाय में कठिन परिश्रम को प्रोत्साहित करता है, जिससे वे बिना देरी के सफलता प्राप्त कर सकते हैं। योग के माध्यम से, वे त्याग की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं और आत्मिक विकास प्राप्त कर सकते हैं। इससे, वे पूर्ण ब्रह्म को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। ये प्रक्रियाएँ, उनके जीवन में मानसिक शांति और आनंद लाएंगी।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।