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श्लोक : 30 / 78

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
पार्थ के पुत्र, योग्य कार्य और अयोग्य कार्य, भय और निर्भयता, और, बंधन और बंधनमुक्ति; इन सबको समझने वाला बुद्धिमान व्यक्ति गुण [सत्व] के लिए योग्य है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराध्रा नक्षत्र और शनि ग्रह के प्रभाव में, जीवन में योग्य और अयोग्य कार्यों को स्पष्ट रूप से समझने वाली बुद्धि को विकसित करना चाहिए। व्यवसाय और वित्त से संबंधित निर्णय लेते समय शनि ग्रह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें जिम्मेदारी की भावना विकसित करने में मदद करता है, और वित्तीय स्थिति को सुधारने में सहायक होता है। परिवार की भलाई में, उत्तराध्रा नक्षत्र का प्रभाव हमें रिश्तों को बनाए रखने में लाभ देता है। व्यवसाय में विकास में, शनि ग्रह हमें जिम्मेदारी से कार्य करने में मदद करता है, और वित्तीय स्थिति को सुधारता है। पारिवारिक संबंधों में, हमारी जिम्मेदारी की भावना और ईमानदार कार्य हमें लाभ देते हैं। इस श्लोक की शिक्षाओं का पालन करके, हम अपने जीवन में क्या लाभकारी है, और क्या हमें बंधन से मुक्त करता है, इसे स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।