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श्लोक : 17 / 78

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जो व्यक्ति बुद्धि से मुक्त होकर अहंकार रहित रहता है, वह मानवता को मारने पर भी वास्तव में किसी को नहीं मारता, और न ही उससे बंधता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता के श्लोक में, अहंकार रहित होकर कार्य करने की स्थिति को भगवान श्री कृष्ण स्पष्ट करते हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र वाले व्यक्तियों के लिए, शनि ग्रह की कृपा से, वे अपने व्यवसाय में कठिन परिश्रम करके उन्नति कर सकते हैं। व्यवसायिक जीवन में, वे जिम्मेदारी से कार्य करते हुए, अहंकार से बचकर, समूह कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे। परिवार में, उनकी जिम्मेदारी और शांति, परिवार के कल्याण में सहायक होगी। स्वास्थ्य के लिए, वे संतुलित आहार की आदतों का पालन करके, शारीरिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। यह श्लोक उनके लिए, कार्यों में अहंकार रहित होकर, मानसिक शांति के साथ कार्य करने का मार्गदर्शक होगा। इस प्रकार, भगवद गीता की शिक्षाएँ, मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र वाले व्यक्तियों को जीवन में संतुलन और शांति प्रदान करेंगी।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।