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श्लोक : 11 / 28

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
भरत कुल में श्रेष्ठ व्यक्ति, पुरस्कारों की परवाह न करने वाला, जिस प्रकार पूजा करनी चाहिए, उसी प्रकार पूजा करता है; इसलिए, उसका मन गुणों [सत्त्व] से युक्त है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण सच्ची भक्ति के महत्व को स्पष्ट करते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराद्रा नक्षत्र के तहत, शनि ग्रह के प्रभाव में, उनके जीवन में स्थिरता और जिम्मेदारी को प्राथमिकता देते हैं। व्यवसाय क्षेत्र में, उन्हें सफलता पाने के लिए परवाह न करने वाली मानसिकता के साथ कार्य करना चाहिए। पुरस्कारों की अपेक्षा न करके, स्वार्थ रहित मेहनत करना, उनके व्यवसाय के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। परिवार में, प्रेम और जिम्मेदारी के साथ कार्य करके, रिश्तों और परिवार की भलाई को बढ़ावा दिया जा सकता है। स्वास्थ्य, शनि ग्रह के प्रभाव से, उन्हें अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए, संतुलित भोजन की आदतें अपनानी चाहिए। मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए, उन्हें अपने मन को शुद्ध करके, सत्त्व गुण को विकसित करना चाहिए। इस प्रकार, मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराद्रा नक्षत्र के तहत, शनि ग्रह के प्रभाव में, जीवन में स्थिरता और आध्यात्मिक विकास प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।