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श्लोक : 11 / 24

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
उनकी असीम चिंताएँ केवल मृत्यु में समाप्त होती हैं; फिर भी, जीवन का सबसे ऊँचा उद्देश्य 'आनंद प्राप्त करना और आनंद का अनुभव करना' है, जिसमें वे दृढ़ता से विश्वास करते हैं।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक में, श्री कृष्ण जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझाते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, तिरुवोणम नक्षत्र के तहत, शनि ग्रह के प्रभाव में, व्यवसाय और वित्तीय स्थितियों पर अधिक ध्यान देंगे। वे जीवन के उच्च उद्देश्य को भूलकर, केवल तात्कालिक आनंद के लिए संघर्ष कर सकते हैं। इससे परिवारिक रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। व्यवसाय में प्रगति के लिए, उन्हें आत्मविश्वास और अनुशासन का पालन करना चाहिए। शनि ग्रह के प्रभाव से, वे कठिन परिश्रम के माध्यम से वित्तीय स्थिति को सुधार सकते हैं। लेकिन, आनंद को केवल लक्ष्य मानकर कार्य करने के बजाय, आध्यात्मिक विकास और निस्वार्थ सेवा को प्राथमिकता देनी चाहिए। परिवार की भलाई में, एक-दूसरे के साथ समझदारी से रहने पर ही दीर्घकालिक रिश्ते टिकते हैं। मकर राशि में जन्मे लोगों को दिव्य गुणों को विकसित करके, असुर गुणों को छोड़ना चाहिए। इससे वे जीवन में स्थायी खुशी और मानसिक शांति प्राप्त कर सकेंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।