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श्लोक : 40 / 42

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
परांतप, मेरी दिव्य श्रेष्ठता की कोई सीमा नहीं है; मैंने तुमसे जो कुछ कहा है, वह मेरी विस्तृत श्रेष्ठता का केवल एक संक्षिप्त रूप है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
भगवान श्री कृष्ण की दिव्य श्रेष्ठता के बारे में यह श्लोक, मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है। उत्तराध्रा नक्षत्र और शनि ग्रह के प्रभाव में, इस राशि के लोग अपने व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में स्थिरता प्राप्त करें। व्यवसाय में, उन्हें अपनी कोशिशों को पूरी तरह से लगाकर, दिव्य शक्ति के मार्गदर्शन से आगे बढ़ना चाहिए। परिवार में, प्रेम और जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण हैं। स्वास्थ्य, अनुशासित जीवनशैली और स्वस्थ भोजन की आदतें आवश्यक हैं। भगवान कृष्ण के उपदेश, इस राशि के लोगों को उनके जीवन में दिव्य उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगे। दिव्य शक्ति की अनंतता को समझकर, वे अपने जीवन के सभी दुखों को पार कर, आनंद का अनुभव कर सकते हैं। इस प्रकार, भगवद गीता का यह उपदेश, मकर राशि के लोगों को जीवन के कई क्षेत्रों में प्रगति प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करेगा।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।