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श्लोक : 29 / 42

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
सभी आकाशीय नागों में, मैं अनंत हूँ; सभी जलजीवों में, मैं वरुण हूँ; पूर्वजों में, मैं आर्यमन हूँ; और सभी नियंत्रकों में, मैं यमधर्म हूँ।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, दीर्घायु
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण अपनी दिव्य शक्ति का वर्णन करते हैं। इसे ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए, तो मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र का बहुत महत्व है। शनि ग्रह यहाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो जिम्मेदारियों और नियंत्रण को दर्शाता है। व्यवसाय क्षेत्र में, शनि ग्रह की कृपा से, हमारी कोशिशों में जिम्मेदारी से कार्य करके सफलता प्राप्त की जा सकती है। परिवार में, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों को समझकर कार्य करना चाहिए, जिससे परिवार का कल्याण बढ़ेगा। लंबी उम्र के लिए, अच्छे आदतों को अपनाना चाहिए। यह श्लोक हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में दिव्य शक्ति को महसूस करते हुए कार्य करने का मार्गदर्शन करता है। व्यवसाय में हमारी कोशिशों को संतुलित रखते हुए, परिवार में एकता स्थापित करके, लंबी उम्र पाने के तरीकों का पालन करके, हम अपने जीवन को सुधार सकते हैं। इससे, जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारे कार्य दिव्य बन जाएंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।