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श्लोक : 25 / 42

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
महान मुनियों में, मैं पृथु; ध्वनियों के बीच, मैं पवित्र शब्द ओम; पूजा में, मैं उच्चारित प्रार्थनाएँ; पर्वतों में, मैं हिमालय।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, स्वास्थ्य, धर्म/मूल्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण अपनी दिव्य महिमा को स्पष्ट करते हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र वाले लोगों के लिए, शनि ग्रह की कृपा से, व्यवसाय और स्वास्थ्य में प्रगति देखी जा सकती है। शनि ग्रह, कठिन परिश्रम और धैर्य का प्रतीक है। व्यवसाय में, पृथु मुनि की तरह ज्ञान के साथ कार्य करके, दीर्घकाल में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य में, ओम की शांत मनोदशा बनाए रखकर, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। धर्म और मूल्यों को जीवन में महत्व प्राप्त करना चाहिए, हिमालय जैसे उच्च लक्ष्यों की ओर यात्रा करनी चाहिए। दिव्यता के मार्गदर्शन से, जीवन के सभी क्षेत्रों में ऊँचाई की ओर बढ़ सकते हैं। शनि ग्रह की कृपा से, दीर्घायु और शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त होगा। इस प्रकार, दिव्यता की रोशनी मार्गदर्शक बनकर, जीवन की ऊँचाई की ओर यात्रा करनी चाहिए।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।