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श्लोक : 30 / 47

अर्जुन
अर्जुन
केशवा, और, मैं खड़ा नहीं हो सकता; मैं खुद को भूल जाता हूँ; मेरा मन घूम रहा है; मैं केवल बुराइयाँ देखता हूँ।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र मानसिक स्थिति, परिवार, ऋण/मासिक किस्त
अर्जुन की मानसिक उलझन और स्थिति की अस्थिरता, मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र से संबंधित है। शनि ग्रह इस स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। शनि ग्रह मानवों की मानसिक स्थिति का परीक्षण करता है; साथ ही, यह धैर्य और संयम सिखाता है। जब मानसिक स्थिति स्थिर नहीं होती, तो परिवार के रिश्तों और करीबी लोगों के साथ समय बिताना आवश्यक होता है। यह मानसिक शांति को पुनः प्राप्त करने में मदद करता है। इसके अलावा, ऋण या EMI जैसी वित्तीय जिम्मेदारियाँ मानसिक तनाव उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में, शनि ग्रह की कृपा से संयमित होकर वित्तीय प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए। भगवद गीता की उपदेश, मानसिक भ्रम को हटाकर सत्य को देखने में मदद करती है। दैनिक ध्यान और योग मानसिक स्थिति को स्थिर रखने में सहायक हो सकते हैं। इससे, जीवन में स्थिरता प्राप्त कर, शांति से जीना संभव हो सकता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।