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श्लोक : 22 / 42

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
सभी वेदों में, मैं साम वेद हूँ; देवताओं में, मैं इंद्र हूँ; इंद्रियों में, मैं मन हूँ; सभी जीवों में, मैं जीव आत्मा हूँ।
राशी मिथुन
नक्षत्र आर्द्रा
🟣 ग्रह बुध
⚕️ जीवन के क्षेत्र मानसिक स्थिति, परिवार, करियर/व्यवसाय
इस भगवद गीता सुलोक में, भगवान श्री कृष्ण अपने महत्त्व को स्पष्ट करते हैं। इसे मिथुन राशि और तिरुवादिरा नक्षत्र वाले लोगों के लिए उपयुक्त माना जा सकता है। बुध ग्रह इनकी जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानसिक स्थिति, परिवार और व्यवसाय इन तीन क्षेत्रों में यह सुलोक मार्गदर्शन करता है। मानसिक स्थिति को शांत रखना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि मन अन्य इंद्रियों को नियंत्रित करता है। परिवार में, किसी की मानसिक शांति और बुद्धिमत्ता रिश्तों को सुधारने में मदद करती है। व्यवसाय में बुध ग्रह के प्रभाव से, बुद्धिमान निर्णय लेकर प्रगति की जा सकती है। इस प्रकार, यह सुलोक मानसिक शांति, परिवार की भलाई और व्यवसाय में प्रगति के लिए मार्गदर्शन करता है। भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करके, मानसिक शांति और बुद्धिमत्ता को विकसित करना जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करेगा।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।